Saturday, November 27, 2010

सोमरस के विषय में कुछ निराकरण

सोमरस के विषय में कुछ निराकरण

 सोमरस पर एक लेख जिसमें कई वैदेशिक विद्वानों के मतों का उल्‍लेख तथा यथाशक्‍य उनका दुराग्रह खण्‍डन किया गया था  ।  किन्‍तु पर्याप्‍त अध्‍ययन के अभाव में लेख पूर्णता को प्राप्‍त नहीं हुआ  ।  किन्‍तु अब जब कि ईश्‍वर की कृपा से शोध के सन्‍दर्भ में वेद भगवान के अध्‍ययन का सौभाग्य प्राप्‍त हुआ तो कई बातें स्‍पष्‍ट होती जा रही हैं  ।
इसी क्रम में सोम के विषय में प्रचलित कुछ अपवादों का निराकरण निम्‍नोक्‍त मन्‍त्रों के द्वारा करने का प्रयास कर रहा हूँ  ।
मन्‍त्रार्थ: –  यह निचोडा हुआ शुद्ध दधिमिश्रित सोमरस , सोमपान की प्रबल इच्‍छा रखने वाले इन्‍द्र देव को प्राप्‍त हो  ।।
मन्‍त्र: –  तीव्रा: सोमास…………………………………….. तान्पिब ।। (ऋग्‍वेद-1/23/1)
मन्‍त्रार्थ: – हे वायुदव यह निचोडा हुआ सोमरस तीखा होने के कारण दुग्‍ध में मिश्रित करके तैयार किया गया है  ।  आइये और इसका पान कीजिये  ।।
मन्‍त्र: – शतं वा य: शुचीनां सहस्रं वा समाशिराम्  ।  एदु निम्‍नं न रीयते  ।। (ऋग्‍वेद-1/30/2)
मन्‍त्रार्थ: - नीचे की ओर बहते हुए जल के समान प्रवाहित होते सैकडो घडे सोमरस में मिले हुए हजारों घडे दुग्‍ध मिल करके इन्‍द्र देव को प्राप्‍त हों ।।
उपर्युक्‍त मन्‍त्रों में सोम में दधि और दुग्‍ध मिश्रण की बात कही गयी है  ।  आजतक मैने किसी भी व्‍यक्ति को शराब में दूध या दही मिलाते हुए नहीं देखा है अत: इस बात का तो सीधा निराकरण हो जाता है कि सोम शराब है  ।  कुछ विद्वानों ने सोम को एक विशेष प्रकार का कुकुरमुत्‍ता माना है  । किन्‍तु क्‍या आपने कुकुरमुत्‍ते की सब्‍जी में दूध या दही मिलाये जाते देखा है  ।  मैने तो नहीं देखा  ।  खैर कदाचित् ऐसा कहीं होता भी तो कुकुरमुत्‍ते की सब्‍जी तो सुनी थी पर किसी ने कुकुरमुत्‍ते को निचोड कर पिया हो ऐसा तो कभी नहीं सुना  है और उूपर साफ वर्णित है कि सोम को ताजा निचोडा जाता है  ।
ऋग्‍वेद में आगे सोम का और भी वर्णन है , एक जगह पर सोम की इतनी उपलब्‍धता और प्रचलन दिखाया गया है कि मनुष्‍यों के साथ गायों तक को सोमरस भरपेट खिलाये और पिलाये जाने की बात कही गई है  ।  कुकुरमुत्‍ता तो पशु खाते ही नहीं फिर तो समस्‍या स्‍वयं ही और भी निराकृत हो जाती है  ।
विचार करने पर सोम आज के चाय की तरह ही कोई सामान्‍य प्रचलित पेय पदार्थ लगता है, जिसे सामान्‍य जन भी प्रतिदिन पान किया करते थे  ।।
क्रमश: ……….
भवदीय:- आनन्‍द: ( BY - ANAND PANDEY  )

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