Sunday, November 28, 2010

खेलों में भारत

एशियन खेल अभी अभी पुरे हुए तो क्यों न हम भी अपने आप को जाँच ले की हम कहा पर खड़े हे,
जरा पहले हमने क्या पाया हे यह देख लेते हे
एशियन खेल २०१० में भारत १४ स्वर्ण पदको के साथ ६ स्थान पर खड़ा हे, पिछले एशियाड खेल जो की दोहा में हुए थे , में हमें १० स्वर्ण पदक प्राप्त हुए थे. इस बार ४ पदक ज्यादा आये हे जो की हर्ष का विषय  हे लेकिन अब जरा इस पहलू पर भी विचार कीजिये की १२५ करोड़ जनसँख्या वाले भारत के लिए क्या ये ज्यादा हे.
हमारी स्तिथि ओलिम्पिक में क्या हे ये तो हम सब जानते हे केवल एक पदक पर हम संतुष्ट हो जाते हे. या फिर अपशोष दर्शाते हे /
यह स्तिथि केसे बनी की इतने  बड़े देश इतना पीछे तो इसके कुछ कारन जो की ध्यान में आते हे -
१) हमारी मानशिकता बनी हुई हे की दुसरे देश के खिलाडी हमसे अच्छे हे अथार्थ स्वाभिमान की कमी
२) खेलो को हमारे देश में सरकारी नौकरी के लालच में अपनाया जाता और जहा पर पूर्ण समर्पण नहीं रहता वहा पर कुछ कमजोरिय तो रहा ही जाती हे
३) सरकार की प्राथमिकता में कमी , सरकार के अधिकारियों में लालच इतना भरा हे ये तो हम सब ने कॉमनवेल्थ  घोटाले में देख ही लिया हे , वे लोग खेल पर क्या ध्यान देंगे जो खुद अपनी जेबों को भरने के काम में लगे हुए हे ,
हमारे सरकारी अधिकारियो की रुछी खेलो और खिलाडियों में कितनी हे ये तो इस बात से पता चल जाता हे की खेल मंत्री जी को उन खिलाडियों के नाम भी याद नहीं जिन्होंने देश का नाम रोशन करते हुए स्वर्ण पदक हाशिल किये, ये स्तिथि कितनी दुखद हे...
४) हमारे खिलाडियों को  प्रयाप्त संसाधन नहीं मिल पते , बजरंग जिन्होंने एशियाड में स्वर्ण जीता किसी ने यदि उनको सुना हो तो पता चल जायेगा
५) खेलो को ले कर जो जाग्रति बछ्पन में ही आ जानी चाहिए वो नहीं हो पाती ,
६) हमारे परिवारों में में भी ये मानसिकता हे की खेल से क्या होगा ? , परिवार में भी सार्थक वातावरण बनाना जरुरी हे
७) कॉर्पोरेट जगत भी उन खेलो को ही प्रोत्साहन देते हे जिसमे उनका फायदा हो , क्या इसे नियम नहीं बना देने चाहिए की कॉर्पोरेट दुसरे खेलो को भी सी एस आर कार्यो में सम्मिलित करे .
८) हर सामान्य नागरिक का कर्त्तव्य हे की वह देशहित में खेलो को प्रोत्साहन दे, अपने बच्चो को प्रोत्साहन दे
९) स्वयं से पहले देश हित सोचे, पहले अपने देश के लिए खेले , देश के स्वाभिमान के खेले फिर अपने लिए ,
१०) इस दिशा में दिल से सार्थक प्रयोग करने होंगे
एसियाड में जीतने वाले खिलाडियो को हृदय से बधाईया और उनसे आशा करते हे कि वो ओलम्पिक में भी देश का नाम रोशन करेंगे.
खिलाडियो के लिए मेरे मनन में दो लाइन याद आ रही हे जिनको मैने पहले कही पढ़ा था
"पेड़ से  गिर लाये वो पत्ता हम नहीं,
 आंधियो से कह दो ओकात में रहे "
खेलों में भारत

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