Saturday, December 18, 2010

युरंड पंथ

युरंड पंथ
सुनाने में थोडा अजीब नाम लगता हे ना! लेकिन ये नया शब्द किसी के संबोधन में लिया जाये तो इसके क्या अर्थ निकलेंगे अब जरा इसको समझ लेते
युरंड शब्द दो शब्दों को मिला कर बनाया गया हे = यूरोप + इंडियन अतार्थ भारतीय लेकिन यूरोपियन ,
युरंड वास्तव में एक विचारधारा हे,उन लोगो की जो पले बढे भारत में हे लेकिन विचार यूरोप के हे, उनको कोई भारतीय कह दे तो ऐसा लगता हे जेसे मिर्ची लग गई हो , किसी भी विषय को ये लोग यूरोप की दृष्ठि से देखते हे , तुलनाए भी यूरोप से कहते हे, जीवन के हर क्षेत्र को युरोपमय बनाना चाहते हे जेसे खाना हो तो यूरोपियन की तरह , पीना हो तो यूरोपियन की तरह , खेलना हो तो यूरोपियन की तरह , पहनना हो तो यूरोपियन की तरह
इस तरह के लोगो को  यूरंड पंथी कहा जा सकता हे 

Tuesday, November 30, 2010

ऊँचाई

ऊँचे पहाड़ पर,
पेड़ नहीं लगते,
पौधे नहीं उगते,
न घास ही जमती है।
         जमती है सिर्फ बर्फ,
जो, कफ़न की तरह सफ़ेद और,
मौत की तरह ठंडी होती है।
खेलती, खिल-खिलाती नदी,
जिसका रूप धारण कर,
अपने भाग्य पर बूंद-बूंद रोती है।

ऐसी ऊँचाई,
जिसका परस
पानी को पत्थर कर दे,
ऐसी ऊँचाई
जिसका दरस हीन भाव भर दे,
अभिनंदन की अधिकारी है,
आरोहियों के लिये आमंत्रण है,
उस पर झंडे गाड़े जा सकते हैं,

किन्तु कोई गौरैया,
वहाँ नीड़ नहीं बना सकती,
ना कोई थका-मांदा बटोही,
उसकी छाँव में पलभर पलक ही झपका सकता है।

सच्चाई यह है कि
केवल ऊँचाई ही काफ़ी नहीं होती,
सबसे अलग-थलग,
परिवेश से पृथक,
अपनों से कटा-बँटा,
शून्य में अकेला खड़ा होना,
पहाड़ की महानता नहीं,
मजबूरी है।
ऊँचाई और गहराई में
आकाश-पाताल की दूरी है।

जो जितना ऊँचा,
उतना एकाकी होता है,
हर भार को स्वयं ढोता है,
चेहरे पर मुस्कानें चिपका,
मन ही मन रोता है।

ज़रूरी यह है कि
ऊँचाई के साथ विस्तार भी हो,
जिससे मनुष्य,
ठूँठ सा खड़ा न रहे,
औरों से घुले-मिले,
किसी को साथ ले,
किसी के संग चले।

भीड़ में खो जाना,
यादों में डूब जाना,
स्वयं को भूल जाना,
अस्तित्व को अर्थ,
जीवन को सुगंध देता है।

धरती को बौनों की नहीं,
ऊँचे कद के इंसानों की जरूरत है।
इतने ऊँचे कि आसमान छू लें,
नये नक्षत्रों में प्रतिभा की बीज बो लें,

किन्तु इतने ऊँचे भी नहीं,
कि पाँव तले दूब ही न जमे,
कोई काँटा न चुभे,
कोई कली न खिले।

न वसंत हो, न पतझड़,
हो सिर्फ ऊँचाई का अंधड़,
मात्र अकेलेपन का सन्नाटा।

मेरे प्रभु!
मुझे इतनी ऊँचाई कभी मत देना,
ग़ैरों को गले न लगा सकूँ,
इतनी रुखाई कभी मत देना।
 
रचनाकार: अटल बिहारी वाजपेयी 
 

Sunday, November 28, 2010

खेलों में भारत

एशियन खेल अभी अभी पुरे हुए तो क्यों न हम भी अपने आप को जाँच ले की हम कहा पर खड़े हे,
जरा पहले हमने क्या पाया हे यह देख लेते हे
एशियन खेल २०१० में भारत १४ स्वर्ण पदको के साथ ६ स्थान पर खड़ा हे, पिछले एशियाड खेल जो की दोहा में हुए थे , में हमें १० स्वर्ण पदक प्राप्त हुए थे. इस बार ४ पदक ज्यादा आये हे जो की हर्ष का विषय  हे लेकिन अब जरा इस पहलू पर भी विचार कीजिये की १२५ करोड़ जनसँख्या वाले भारत के लिए क्या ये ज्यादा हे.
हमारी स्तिथि ओलिम्पिक में क्या हे ये तो हम सब जानते हे केवल एक पदक पर हम संतुष्ट हो जाते हे. या फिर अपशोष दर्शाते हे /
यह स्तिथि केसे बनी की इतने  बड़े देश इतना पीछे तो इसके कुछ कारन जो की ध्यान में आते हे -
१) हमारी मानशिकता बनी हुई हे की दुसरे देश के खिलाडी हमसे अच्छे हे अथार्थ स्वाभिमान की कमी
२) खेलो को हमारे देश में सरकारी नौकरी के लालच में अपनाया जाता और जहा पर पूर्ण समर्पण नहीं रहता वहा पर कुछ कमजोरिय तो रहा ही जाती हे
३) सरकार की प्राथमिकता में कमी , सरकार के अधिकारियों में लालच इतना भरा हे ये तो हम सब ने कॉमनवेल्थ  घोटाले में देख ही लिया हे , वे लोग खेल पर क्या ध्यान देंगे जो खुद अपनी जेबों को भरने के काम में लगे हुए हे ,
हमारे सरकारी अधिकारियो की रुछी खेलो और खिलाडियों में कितनी हे ये तो इस बात से पता चल जाता हे की खेल मंत्री जी को उन खिलाडियों के नाम भी याद नहीं जिन्होंने देश का नाम रोशन करते हुए स्वर्ण पदक हाशिल किये, ये स्तिथि कितनी दुखद हे...
४) हमारे खिलाडियों को  प्रयाप्त संसाधन नहीं मिल पते , बजरंग जिन्होंने एशियाड में स्वर्ण जीता किसी ने यदि उनको सुना हो तो पता चल जायेगा
५) खेलो को ले कर जो जाग्रति बछ्पन में ही आ जानी चाहिए वो नहीं हो पाती ,
६) हमारे परिवारों में में भी ये मानसिकता हे की खेल से क्या होगा ? , परिवार में भी सार्थक वातावरण बनाना जरुरी हे
७) कॉर्पोरेट जगत भी उन खेलो को ही प्रोत्साहन देते हे जिसमे उनका फायदा हो , क्या इसे नियम नहीं बना देने चाहिए की कॉर्पोरेट दुसरे खेलो को भी सी एस आर कार्यो में सम्मिलित करे .
८) हर सामान्य नागरिक का कर्त्तव्य हे की वह देशहित में खेलो को प्रोत्साहन दे, अपने बच्चो को प्रोत्साहन दे
९) स्वयं से पहले देश हित सोचे, पहले अपने देश के लिए खेले , देश के स्वाभिमान के खेले फिर अपने लिए ,
१०) इस दिशा में दिल से सार्थक प्रयोग करने होंगे
एसियाड में जीतने वाले खिलाडियो को हृदय से बधाईया और उनसे आशा करते हे कि वो ओलम्पिक में भी देश का नाम रोशन करेंगे.
खिलाडियो के लिए मेरे मनन में दो लाइन याद आ रही हे जिनको मैने पहले कही पढ़ा था
"पेड़ से  गिर लाये वो पत्ता हम नहीं,
 आंधियो से कह दो ओकात में रहे "
खेलों में भारत

Saturday, November 27, 2010

सोमरस के विषय में कुछ निराकरण

सोमरस के विषय में कुछ निराकरण

 सोमरस पर एक लेख जिसमें कई वैदेशिक विद्वानों के मतों का उल्‍लेख तथा यथाशक्‍य उनका दुराग्रह खण्‍डन किया गया था  ।  किन्‍तु पर्याप्‍त अध्‍ययन के अभाव में लेख पूर्णता को प्राप्‍त नहीं हुआ  ।  किन्‍तु अब जब कि ईश्‍वर की कृपा से शोध के सन्‍दर्भ में वेद भगवान के अध्‍ययन का सौभाग्य प्राप्‍त हुआ तो कई बातें स्‍पष्‍ट होती जा रही हैं  ।
इसी क्रम में सोम के विषय में प्रचलित कुछ अपवादों का निराकरण निम्‍नोक्‍त मन्‍त्रों के द्वारा करने का प्रयास कर रहा हूँ  ।
मन्‍त्रार्थ: –  यह निचोडा हुआ शुद्ध दधिमिश्रित सोमरस , सोमपान की प्रबल इच्‍छा रखने वाले इन्‍द्र देव को प्राप्‍त हो  ।।
मन्‍त्र: –  तीव्रा: सोमास…………………………………….. तान्पिब ।। (ऋग्‍वेद-1/23/1)
मन्‍त्रार्थ: – हे वायुदव यह निचोडा हुआ सोमरस तीखा होने के कारण दुग्‍ध में मिश्रित करके तैयार किया गया है  ।  आइये और इसका पान कीजिये  ।।
मन्‍त्र: – शतं वा य: शुचीनां सहस्रं वा समाशिराम्  ।  एदु निम्‍नं न रीयते  ।। (ऋग्‍वेद-1/30/2)
मन्‍त्रार्थ: - नीचे की ओर बहते हुए जल के समान प्रवाहित होते सैकडो घडे सोमरस में मिले हुए हजारों घडे दुग्‍ध मिल करके इन्‍द्र देव को प्राप्‍त हों ।।
उपर्युक्‍त मन्‍त्रों में सोम में दधि और दुग्‍ध मिश्रण की बात कही गयी है  ।  आजतक मैने किसी भी व्‍यक्ति को शराब में दूध या दही मिलाते हुए नहीं देखा है अत: इस बात का तो सीधा निराकरण हो जाता है कि सोम शराब है  ।  कुछ विद्वानों ने सोम को एक विशेष प्रकार का कुकुरमुत्‍ता माना है  । किन्‍तु क्‍या आपने कुकुरमुत्‍ते की सब्‍जी में दूध या दही मिलाये जाते देखा है  ।  मैने तो नहीं देखा  ।  खैर कदाचित् ऐसा कहीं होता भी तो कुकुरमुत्‍ते की सब्‍जी तो सुनी थी पर किसी ने कुकुरमुत्‍ते को निचोड कर पिया हो ऐसा तो कभी नहीं सुना  है और उूपर साफ वर्णित है कि सोम को ताजा निचोडा जाता है  ।
ऋग्‍वेद में आगे सोम का और भी वर्णन है , एक जगह पर सोम की इतनी उपलब्‍धता और प्रचलन दिखाया गया है कि मनुष्‍यों के साथ गायों तक को सोमरस भरपेट खिलाये और पिलाये जाने की बात कही गई है  ।  कुकुरमुत्‍ता तो पशु खाते ही नहीं फिर तो समस्‍या स्‍वयं ही और भी निराकृत हो जाती है  ।
विचार करने पर सोम आज के चाय की तरह ही कोई सामान्‍य प्रचलित पेय पदार्थ लगता है, जिसे सामान्‍य जन भी प्रतिदिन पान किया करते थे  ।।
क्रमश: ……….
भवदीय:- आनन्‍द: ( BY - ANAND PANDEY  )

Friday, November 26, 2010

अकेलेपन का बल पहचान।

अकेलेपन का बल पहचान।

शब्द कहाँ जो तुझको, टोके,
हाथ कहाँ जो तुझको रोके,
राह वही है, दिशा वही, तू करे जिधर प्रस्थान।
अकेलेपन का बल पहचान।

जब तू चाहे तब मुस्काए,
जब चाहे तब अश्रु बहाए,
राग वही है तू जिसमें गाना चाहे अपना गान।
अकेलेपन का बल पहचान।

तन-मन अपना, जीवन अपना,
अपना ही जीवन का सपना,
जहाँ और जब चाहे कर दे तू सब कुछ बलिदान।
अकेलेपन का बल पहचान।

रचनाकार: हरिवंशराय बच्चन

HEALTH TIPS SERIES- HAIR HEALTH

                 HEALTH TIPS SERIES
                                                              Hair Health
Hair is cylinder of dead tissue. Damaged hair can never be fully restored to its
original condition. The main factor in growth of the hair is the kind of cells that exit
in the hair follicles from which the hair grows in the individual person. Each individual
hair is also different in one individual .Hair- care products are intended to promote
certain favorable conditions of hair and to reduce of eliminate properties of hair,
which are regarded as undesirable.
Reasons for Hair Loss
Both men and women lose hair for similar reasons. Hair loss in men is often more
dramatic, and follows a specific pattern of loss which has been termed "Male Pattern
Baldness". This loss is caused by dihydrotestosterone (DHT).
Factors for male hair loss include: heredity, hormones, and aging. This may also
apply to women but to a lesser degree. Women may experience loss of hair after
menopause and 2-3 months after having a baby. Other contributing factors include:
poor diet, poor circulation, acute illness, radiation, chemotherapy, high stress,
thyroid imbalance, certain drugs, coming off the contraceptive pill, diabetes, high
doses of vitamin A (more than 100,000 IU), sudden weight loss, high fever, iron
deficiency, ringworm, some fungal infections, chemicals and hair dyes, vitamin
deficiencies, and lack of proper nutrition.
Drastic or premature hair loss may be caused by:
1. Stress and bodily weakness from overwork.
2. Dietary imbalances or nutritional deficiency.
3. Using abrasive shampoos, hair lacquers, dyes and bleaching, etc.
4. Endocrine disorder.
5. Genetic factors.
6. Infectious diseases.
7. Hormonal metabolic changes in lactating women.
8. Nutrient and protein deficiencies in the hair cells.
Routine care of scalp and Hair:
It is very important to have day to day care given to hair and scalp to maintain its
health and to increase its beauty. This routine includes brushing, combing, cutting,
shampooing, massaging and application of hair dressing/lotion/oils.
Brushing and combing
Many sebaceous glands are distributed over the scalp. When the hair is brushed,
sedum secreted from these glands spreads over the surface of the hair and
makes it glossy and supple.
Brushing and combing temporarily affects the blood circulation of the scalp.

The brushes used should have well spaced bristles.
For long hairs brushing should begin at near the bottom of each strand and
slowly reaching the top and then beginning from scalp and sweep down the entire
strand of hair without encountering any tangle. Careful treatment of this nature
excludes the breaking and tearing of hair.
When the hair is weakened and its attachment is less the normal, frequent and
vigorous brushing may increase hair fall resulting in further damage. Under such
condition gentle massage of the scalp could be done and daily vigorous brushing
should be avoided.
Massage with Hair oil:
Hair oils especially those containing herbs are one of very important in hair care.
They should be used once every week and left overnight.
Shampooing:
Primary objective is to clean hair and scalp of all foreign matters. The ideal shampoo
should clean the scalp without producing irritation or causing excessive reduction of
the natural oils, they should have an acidic pH, that is less then 7.
Hair loss
Hair loss can be sudden or gradual. With the healthy scalp loss of 50-100 hairs is
normal. It is concern when it exceeds more than 100 hairs per day or hair no longer
grows back on any part of the scalp. Loss of hair may be due to various causes.
How to have healthy and beautiful hair.
Three main things are needed for a good-looking head of hair -- good health, the
right attention to cleanliness, and caution when using cosmetic treatments.
Some tips for maintaining healthy hair are:
Have a good intake of minerals and vitamins, that is have a health and balanced
diet with proper mix of protiens,carbohydrates,
Fruits, green leafy vegetables.
Maintain good hydration levels ( consume at least 8 glasses of water everyday)
Have 8 hours of good sleep every day
Exercise regularly. it improves the blood circulation
Avoid oils and fried foods.
Keep stress at bay.

Thursday, November 25, 2010

आत्म शक्ति का निश्चय ठाने

आत्म शक्ति का निश्चय ठाने,
पड़ी हुई लुटी शिकार को सिंह नहीं हे खाने जाते,
एक हाथ में सृजन दुसरे में प्रलय लिए चलते हे,
सभी कीर्ति ज्वाला में जलते हम अंधियारे में जलते हे,
हाथों में वैभव के सपने, पग में तूफानों की गति हों
राष्ट्र सिन्धु का ज्वार न रुकता, आये जिस जिसकी हिम्मत हो l

शुद्ध ह्रदय की प्याली में,
विश्वास दीप निष्कंप जला कर,
कोटि कोटि पग बढें जा रहे,
तिल तिल जीवन गला गला कर,
जब तक ध्येय न पूरा होगा,
तब तक पग की गति न रुकेगी
आज कहे चाहे जो दुनिया,
कल को झुके बिना न रहेगी l